मलगांव के बाद अब कुसमुंडा में भी ग्रामीणों ने जताया विरोध, एसईसीएल और प्रशासन की टीम लौटी बैरंग

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कुसमुंडा/कोरबा:
खनन क्षेत्र में बढ़ते विरोध की एक और मिसाल उस वक्त सामने आई जब पाली ग्राम पंचायत के ग्रामीणों ने एसईसीएल कुसमुंडा और जिला प्रशासन की टीम को गांव से बैरंग लौटा दिया। ग्रामीणों का साफ कहना है कि जब तक हर परिवार को रोजगार सुनिश्चित नहीं किया जाएगा, तब तक गांव की ज़मीन पर खनन कार्य नहीं होने देंगे।

ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि बिना किसी पूर्व सूचना के अधिकारियों द्वारा खदान विस्तार की कोशिश की गई, जिससे लोगों में आक्रोश फैल गया। वहीं रोजगार, पुनर्वास और मुआवज़े का मामला फिलहाल हाईकोर्ट में लंबित है।

प्रशासन और आउटसोर्सिंग कंपनियों पर आरोप लगाते हुए ग्रामीणों ने कहा कि कंपनियां स्थानीय लोगों को काम से बाहर करने की धमकी दे रही हैं, जिससे नाराज़गी और भी बढ़ गई है। आउटसोर्सिंग कार्यों में ग्रामीणों ने रुकावट डाली, जिससे परियोजना प्रभावित हुई है।

हालात को संभालने पहुंचे एसडीएम कटघोरा रोहित सिंह और दीपका तहसीलदार अमित केरकेट्टा सहित अन्य अधिकारियों की समझाइश भी कारगर नहीं रही। ग्रामीणों ने अपनी समस्याओं की लंबी सूची सौंपते हुए तत्काल समाधान की मांग की।

मौके पर एसईसीएल के जीएम ऑपरेशन विवेक कुमार, जीएम सिविल, पाली सरपंच श्रीमती रामशिला कंवर, उपसरपंच बलराम यादव, ऊर्जाधानी भूविस्थापित किसान कल्याण समिति के अध्यक्ष सपुरन कुलदीप, ललित महिलांगे, दिलहरन सारथी, श्रम सेवा संगठन के अशोक पटेल सहित अन्य सामाजिक प्रतिनिधि भी उपस्थित थे।

स्थिति फिलहाल तनावपूर्ण बनी हुई है, और ग्रामीणों का साफ कहना है कि जब तक न्याय नहीं मिलेगा, विरोध जारी रहेगा।


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