कुमरता जलाशय रिमॉडलिंग कार्य चढ़ा भ्रष्टाचार की भेंट, किसानों को नहीं मिल पा रही सिंचाई सुविधा

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धरमजयगढ़ (22 जुलाई 2025):
किसानों को सिंचाई सुविधा देने के उद्देश्य से धरमजयगढ़ के कुमरता जलाशय के शीर्ष एवं नहरों के रिमॉडलिंग एवं लाइनिंग कार्य के लिए स्वीकृत 722.33 लाख रुपए की परियोजना अब भ्रष्टाचार और लापरवाही की भेंट चढ़ती नजर आ रही है। कार्य की जिम्मेदारी बालाजी कंस्ट्रक्शन, जांजगीर को सौंपी गई थी, जिसका संचालन अमित अग्रवाल द्वारा किया जा रहा है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार इस योजना से लगभग 1224.57 हेक्टेयर भूमि में सिंचाई सुविधा प्रस्तावित थी। जल संसाधन विभाग को प्रशासनिक स्वीकृति के बाद वित्तीय स्वीकृति 26 फरवरी 2024 को दी गई थी, परंतु निर्माण कार्य की स्थिति और गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।

बीच-बीच में अधूरा कार्य, किसानों को नहीं मिल रहा लाभ

किसानों का आरोप है कि निर्माण कार्य एक सिरे से पूर्ण करने की बजाय बीच-बीच में अधूरा छोड़ दिया जा रहा है। इससे कुछ क्षेत्रों में केनाल सूखी पड़ी है, तो कहीं अत्यधिक जलभराव हो रहा है। यदि यह कार्य व्यवस्थित रूप से किया जाता तो रबी-खरीफ फसलों के लिए समय पर पानी उपलब्ध हो सकता था।

गुणवत्ता में भारी लापरवाही, केनाल टूटा

सलका गांव के फिटिंगपारा मोहल्ले में केनाल रिमॉडलिंग का कार्य तो कर दिया गया, लेकिन खेतों से पानी निकालने हेतु पाइप नहीं लगाए गए। मजबूरी में किसानों ने मेड़ काटकर पानी निकाला, जिससे बहाव के दबाव में नई बनी केनाल टूट गई। यह घटना कार्य की गंभीर गुणवत्ता दोष को उजागर करती है।

कहीं विरोध पर सुधार, कहीं अनदेखी

जहां किसानों ने निर्माण की खराब गुणवत्ता पर विरोध किया, वहां दोबारा खुदाई कर पाइप बिछाया गया। लेकिन जिन क्षेत्रों में किसान चुप रहे, वहां पाइप तक नहीं डाले गए। इससे जल निकासी बाधित हो रही है और फसलें खराब होने का खतरा बना हुआ है।

अधिकारियों की अनदेखी, निर्माण कार्य सवालों के घेरे में

धरमजयगढ़ जल संसाधन विभाग के अधिकारी इस कार्य की निगरानी और गुणवत्ता जांच में पूर्णतः लापरवाह दिख रहे हैं। परियोजना की लागत करीब 5 करोड़ रुपए तक पहुंच चुकी है, फिर भी निर्माण कार्य में घोर अनियमितता दिखाई दे रही है। अधिकारियों की चुप्पी और ठेकेदार को दी जा रही छूट कई संदेहजनक पहलुओं को जन्म देती है।

जनहित की मांग: गुणवत्ता जांच हो, जिम्मेदारों पर कार्रवाई हो

कई किसान संगठनों और ग्रामीणों ने शासन से मांग की है कि निर्माण कार्य की उच्च स्तरीय तकनीकी जांच करवाई जाए और दोषी अधिकारियों एवं ठेकेदार पर वित्तीय गड़बड़ी व लापरवाही के आरोपों में सख्त कार्रवाई की जाए।

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