रिपोर्ट: जितेन्द्र कुमार जायसवाल | बलरामपुर-रामानुजगंज, छत्तीसगढ़
> “कानून कहता है कि आदिवासी की ज़मीन सिर्फ आदिवासी को बेची जा सकती है। लेकिन ज़मीनी हकीकत कहती है — जो पैसेवाला है, वही मालिक है।”
⛰️ पहाड़ी कोरवा समाज की ज़मीनें अब खेती के लिए नहीं, मुनाफे के लिए हथियाई जा रही हैं।
कब्जे का यह सिलसिला सिर्फ लालची दलालों तक सीमित नहीं, बल्कि ग्राम पंचायत से लेकर तहसील और थाने तक — पूरा सिस्टम कहीं चुप, कहीं सक्रिय भागीदार बना हुआ है।
—
कैसे होता है कब्ज़ा? — एक सुनियोजित मॉडल
1. भरोसा जीतो
सेठ गाँव आता है —
“मैं लोन दिला दूँगा”,
“बेटी की शादी में मदद करूँगा”,
“पट्टा पास करवा दूँगा”।
यहीं से शुरू होती है पहली चाल।
2. दस्तखत और अंगूठा
अनपढ़ आदिवासी से सादे कागज़ों पर दस्तखत या अंगूठा लगवाया जाता है।
बाद में वही दस्तावेज़ — रजिस्ट्री, विक्रय अनुबंध, कब्जा प्रमाणपत्र बन जाते हैं।
3. कब्जा शुरू
खेत में सेठ के मजदूर पहुंचते हैं
तारबंदी होती है
पुलिस को सूचना दी जाती है: “हमने ज़मीन खरीदी है”
4. विरोध का परिणाम: दमन
धारा 107/116 में चालान
अवैध कब्जा की झूठी शिकायतें
थाना स्तर पर समझौता करने का दबाव
और सबसे ख़तरनाक — आत्महत्या या आत्मदाह की धमकी
—
茶 कौन-कौन शामिल है इस सिस्टम में?
ग्राम सचिव: फ़र्ज़ी दस्तावेज़ों को पंचायत की मुहर देता है
पटवारी: नक्शा और रिकार्ड बदल देता है
तहसीलदार: सब जानता है, लेकिन फाइल पर “नोटिंग” से आगे नहीं बढ़ता
पुलिस: शिकायत लो तो जवाब मिलता है — “सिविल मामला है, कोर्ट जाओ”
—
केस स्टडीज़ जो बहुत कुछ कहती हैं:
भैराराम (पहाड़ी कोरवा)
रजिस्ट्री के बाद ज़मीन खाली करने का दबाव, बार-बार धमकी। अंततः आत्महत्या।
छेदीलाल (उराँव)
10 एकड़ ज़मीन पर कब्जा। विरोध किया तो झूठे चोरी और मारपीट के केस में जेल।
सीता बाई (कोरवा)
भूख में खेत बेचा, लेकिन पैसे नहीं मिले। अब उसी खेत में मजदूरी कर रही है।
—
⚖️ कानून है, असर नहीं
SC/ST (अत्याचार निवारण) अधिनियम
छत्तीसगढ़ भू-संपदा (संरक्षण) कानून
राजस्व संहिता
इन कानूनों में साफ लिखा है कि आदिवासी ज़मीन का गलत कब्जा दंडनीय अपराध है।
लेकिन क्या आपने कभी किसी पटवारी या तहसीलदार को जेल जाते देखा है?
हर शिकायत — “निराकृत” दिखा दी जाती है।
—
❓ चुने हुए प्रतिनिधि क्यों चुप हैं?
जब किसी आदिवासी की ज़मीन पर कब्ज़ा होता है —
सरपंच, जनपद सदस्य, विधायक — सब मौन क्यों?
क्या ये चुप्पी ‘मग्गू सेठ’ के लाभ से जुड़ी है?
—
अगले भाग में पढ़िए:
“खामोश पुलिस, ताक़तवर दलाल: स्थानीय सत्ता का अंधा गठजोड़”
जहाँ हम दिखाएँगे कि थाने में बैठा सिपाही भी सेठ के नाम पर काँपता है।
—
✍️ जारी रहेगा…
“मग्गू सेठ फाइल्स” अब सिर्फ एक रिपोर्ट नहीं, ग्रामीण न्याय की आवाज़ बन रही है।
यदि आपके पास भी कोई ऐसा केस है, तो हमें ज़रूर बताएं।
न्यूज़ स्क्रिप्ट न्यूज़ पोर्टल
[Contact/Email/WhatsApp लिंक यहाँ डालें]
—

Founder & Chief Editor, Khabar36garh
Mobile no. +917723899232
.
.
📍 BILASPUR: छत्तीसगढ़
👩💻 पेशेवर सफ़र:
-
Khabar36garh के स्थापना से ही पहले दिन से जुड़ी
-
15+ वर्षों का पत्रकारिता अनुभव, ग्रामीण और शहरी खबरों का गहन कवरेज
-
महिला सशक्तिकरण, शिक्षा, ग्रामीण विकास और संस्कृति जैसे विषयों में विशेष लेखन
🖋️ नेतृत्व दृष्टिकोण:
-
बेबाक, निष्पक्ष और प्रभावशाली पत्रकारिता
-
टीम बिल्डिंग और मेटाडाटा रिपोर्टिंग
-
पाठकों और समाज के बीच पुल बनाने में अग्रणी
- 📢 विज्ञापन दें — Khabar36garh के साथ!
- ✅ अपने ब्रांड, सेवा या उत्पाद को छत्तीसगढ़ के हर कोने तक पहुँचाएं।
✅ विश्वसनीयता, व्यापक कवरेज और सटीक टार्गेटिंग के साथ प्रचार करें।—🔗 संपर्क करें अभी:📧 ईमेल: info@khabar36garh.co.in
📱 मोबाइल / WhatsApp (विज्ञापन हेतु):
🎯 📞 +91-77238-99232 (Direct Ad Enquiry) 🔥
🕒 24×7 उपलब्धता | Fast Response
📱 फेसबुक / ट्विटर: @MaltiKurrey—
📌 “बात सिर्फ ख़बर की नहीं, आपके ब्रांड की भी है!”
🎯 Khabar36garh — भरोसेमंद मीडिया, प्रभावी प्रचार।