सरगुजा/अंबिकापुर, छत्तीसगढ़:
छत्तीसगढ़ के पांचवीं अनुसूची क्षेत्र सरगुजा में स्वास्थ्य सेवाओं की आड़ में भ्रष्टाचार का एक गंभीर मामला सामने आया है। अंबिकापुर स्थित लाइफ लाइन अस्पताल पर आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत इलाज के बावजूद लाखों रुपये की वसूली का आरोप लगा है। यह खुलासा क्षेत्र के जागरूक समाजसेवी दीपक मानिकपुरी ने किया है, जिन्होंने इस प्रकरण की शिकायत जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को सौंपते हुए न्याय की मांग की है।
क्या है पूरा मामला?
जिला सूरजपुर के ग्राम पंचायत रामनगर निवासी राजकुमारी देवी को 11 फरवरी 2025 की रात सीने में तेज दर्द की शिकायत पर जिला अस्पताल सूरजपुर से अंबिकापुर रेफर किया गया। रात करीब 9 से 10 बजे के बीच उन्हें लाइफ लाइन अस्पताल में भर्ती किया गया।
राजकुमारी देवी के पास आयुष्मान भारत योजना का वैध कार्ड था (मेंबर ID: PO62V1T6G)। आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार, अस्पताल ने इस कार्ड के तहत दो बार योजना का लाभ उठाया:
- 12 फरवरी से 17 फरवरी 2025: मेडिकल केस के तहत ₹50,000 स्वीकृत
- 17 फरवरी से 20 फरवरी 2025: सर्जिकल केस के तहत ₹72,200 स्वीकृत
फिर भी हुई लाखों की वसूली
- 12 फरवरी की रात: अस्पताल ने परिजनों से ₹40,000 नकद लेकर “MIREL for intravenous use only” इंजेक्शन लगाया।
- इलाज के दौरान: दवाओं और टेस्टों के नाम पर कुल ₹1,60,330/- और नकद वसूले गए।
चौंकाने वाली बात:
सर्जरी 16 फरवरी को की गई, जबकि योजना के तहत सर्जरी की स्वीकृति 17 फरवरी से दिखाई गई है।
परिजनों द्वारा जब योजना के बावजूद भुगतान का कारण पूछा गया, तो जवाब मिला:
“टेक्निकल इशू के कारण कार्ड ब्लॉक नहीं हो पाया।”
डॉक्टरों के बयान में विरोधाभास
सर्जरी के बाद दो वरिष्ठ डॉक्टरों के बयानों में गंभीर असहमति देखी गई:
- डॉ. सूर्यवंशी (हृदय रोग विशेषज्ञ, रायपुर): “ब्लॉकेज का सफल ऑपरेशन हो गया है, मरीज स्वस्थ है।”
- डॉ. असाटी: “अब भी दो ब्लॉकेज बाकी हैं, जिनकी सर्जरी एक महीने बाद की जाएगी।”
दबाव बढ़ने पर बाद में दोनों डॉक्टरों ने बयान बदलते हुए स्वीकार किया:
“हां, दो ब्लॉकेज और बाकी हैं।”
जांच की मांग तेज
समाजसेवी दीपक मानिकपुरी ने आरोप लगाया है:
“यह गरीबों की योजनाओं को लूटने का संगठित प्रयास है। निजी अस्पताल लालच के चलते मरीजों की जान से खेल रहे हैं। दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।”
शिकायतें कहां की गईं?
19 मई 2025 को शिकायतें निम्नलिखित स्थानों पर दर्ज कराई गईं:
- थाना कोतवाली, अंबिकापुर
- जिला कलेक्टर, सरगुजा
- मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO), सरगुजा
मामले से जुड़े अहम सवाल:
- क्या “टेक्निकल इशू” सिर्फ बहाना था?
- जब कार्ड से क्लेम स्वीकृत था, तो नकद राशि क्यों ली गई?
- डॉक्टरों के उलझे बयान क्या सच्चाई छिपाने की कोशिश थे?
- सिस्टम में ऑडिट और निगरानी क्यों नहीं हो रही?
जनता की मांग:
- लाइफ लाइन अस्पताल के खिलाफ FIR दर्ज कर निष्पक्ष जांच हो।
- आयुष्मान योजना के सभी क्लेम्स का स्वतंत्र ऑडिट कराया जाए।
- दोषी डॉक्टरों और अस्पताल प्रबंधन का लाइसेंस रद्द किया जाए।
- भविष्य में ऐसे मामलों से बचने के लिए रियल-टाइम मॉनिटरिंग सिस्टम लागू किया जाए।
निष्कर्ष:
यह मामला केवल एक मरीज या अस्पताल का नहीं, बल्कि उस प्रणाली की विफलता का उदाहरण है जिसमें गरीबों के हक की योजनाएं भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही हैं। जब तक पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित नहीं होगी, तब तक आयुष्मान योजना “नाम” भर रह जाएगी – लाभ असली ज़रूरतमंद तक नहीं पहुंचेगा।
अब देखना होगा कि क्या जिला प्रशासन इस गंभीर मामले में सख्त कदम उठाता है या फिर यह पूरा मामला एक और “टेक्निकल इशू” के नीचे दबा दिया जाएगा।

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