16 जून से स्कूलों में गूंजेगी बच्चों की किलकारी, शाला प्रवेश उत्सव की जोरशोर से तैयारी

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बिलासपुर, 14 जून 2025।
जिले के सभी शासकीय और निजी स्कूलों में नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत 16 जून को “शाला प्रवेश उत्सव” के साथ होगी। कलेक्टर संजय अग्रवाल ने प्राचार्यों और स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों की बैठक लेकर उत्सव की तैयारियों की समीक्षा की। उन्होंने निर्देश दिए कि नव प्रवेशी बच्चों का स्वागत स्वच्छ, सुंदर और आकर्षक वातावरण में किया जाए।

कलेक्टर ने कहा कि बच्चों को स्वयं के बच्चे समझते हुए शिक्षक उन्हें पढ़ाई में सहयोग करें। उन्होंने स्कूल परिसरों से अतिक्रमण हटाने, गुटखा-पाउच की दुकानें हटवाने, मध्यान्ह भोजन योजना को बेहतर बनाने और खेलकूद गतिविधियों को बढ़ावा देने के निर्देश दिए।

बैठक में यह भी तय हुआ कि बोर्ड परीक्षा में शत प्रतिशत परिणाम देने वाले शिक्षकों को सम्मानित किया जाएगा। कलेक्टर ने “मिशन 90” योजना के अंतर्गत प्राप्त उल्लेखनीय परीक्षा परिणामों पर प्रसन्नता जताई।

संजय अग्रवाल ने “एक पेड़ माँ के नाम” अभियान के तहत प्रत्येक छात्र को अपने माता-पिता के नाम पर पौधा लगाने और उसकी देखभाल करने की जिम्मेदारी देने की बात कही। साथ ही सभी स्कूलों में “स्मार्ट क्लास” की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए गए।

कलेक्टर ने चिरायु योजना के तहत सभी बच्चों के स्वास्थ्य परीक्षण, जाति प्रमाण पत्र निर्माण की प्रक्रिया और जर्जर स्कूल भवनों में कक्षाएं न लगाने की भी बात कही। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के अनुसार व्यावसायिक शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए ताकि छात्र हुनरमंद बनकर भविष्य में रोजगार के अवसरों का लाभ उठा सकें।

बैठक के दौरान बिल्हा ब्लॉक के शिक्षकों द्वारा शाला प्रवेश उत्सव पर तैयार लघु फिल्म भी लॉन्च की गई। इस अवसर पर जिला पंचायत सीईओ संदीप अग्रवाल, डीईओ डॉ. अनिल तिवारी, सहायक संचालक श्री पी. दासरथी, बीईओ, बीआरसी व जिले के सभी प्राचार्य उपस्थित रहे।

डीईओ डॉ. तिवारी ने बताया कि अब जिले का कोई भी स्कूल शिक्षकविहीन नहीं है। सभी शिक्षकों को शैक्षणिक कैलेंडर का पालन करते हुए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने की जिम्मेदारी निभानी होगी। उन्होंने कहा कि पाठ्यपुस्तकों का वितरण तभी किया जाएगा जब स्कैनिंग पूरी हो जाए व संबंधित स्कूल की सील लगी हो।

कलेक्टर ने अंत में कहा कि शिक्षा केवल पाठ्यपुस्तकों तक सीमित नहीं है, बल्कि बच्चों में सामाजिक जिम्मेदारी, नैतिक मूल्यों और राष्ट्रनिर्माण की भावना भी जगानी चाहिए।

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