बिलासपुर पुलिस का साइबर फ्रॉड पर बड़ा प्रहार, 08 म्यूल अकाउंट होल्डर गिरफ्तार, 1.30 करोड़ की धोखाधड़ी का खुलासा

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बिलासपुर, 16 मई 2025 – ऑनलाइन साइबर फ्रॉड के मामलों में इस्तेमाल किए जा रहे फर्जी बैंक खातों (म्यूल अकाउंट) के खिलाफ बिलासपुर पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है। बिलासपुर रेंज साइबर थाना और एसीसीयू की संयुक्त टीम ने 08 म्यूल अकाउंट धारकों को गिरफ्तार कर 1.30 करोड़ रुपये की साइबर ठगी का पर्दाफाश किया है।

यह कार्रवाई पुलिस महानिरीक्षक डॉ. संजीव शुक्ला (भा.पु.से.) एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्री रजनेश सिंह (भा.पु.से.) के निर्देशन में की गई। मामले में साइबर थाना बिलासपुर में अपराध क्रमांक 09/2025 दर्ज किया गया है।

गिरफ्तार आरोपी हैं:

  1. अब्दूल आदिल (21), तालापारा, सिविल लाइन थाना
  2. संदीप श्रीवास (30), तिफरा, थाना सिरगिट्टी
  3. विकास केंवट (31), रतनपुर
  4. समीर कश्यप (31), रतनपुर
  5. कलेश कुमार धिवर (28), रतनपुर
  6. नागेश्वर ठाकूर (25), आदर्श नगर, सिरगिट्टी
  7. करन सिंह ठाकूर (33), आदर्श नगर, सिरगिट्टी
  8. परमेश्वर जायसवाल (21), हिर्री माईंस, चकरभाठा

कैसे करते थे साइबर अपराध:

पुलिस के अनुसार, ये आरोपी अपने बैंक खातों को साइबर अपराधियों को पैसे के लालच में उपलब्ध कराते थे। ये खाते डिजिटल अरेस्ट, फर्जी शेयर ट्रेडिंग ऐप्स, क्रिप्टो इन्वेस्टमेंट, टेलीग्राम टास्क, गूगल रिव्यू व अन्य प्लेटफॉर्म्स पर होने वाली ठगी के लेन-देन में उपयोग किए जाते थे।

तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर कार्रवाई:

नेशनल साइबर क्राइम पोर्टल की रिपोर्ट और बैंक ट्रांजेक्शन्स की जांच के बाद इन खातों को चिन्हांकित किया गया। इसके बाद संयुक्त टीमों ने दबिश देकर संदिग्धों को गिरफ्तार किया।

जांच में इन अधिकारियों का रहा योगदान:

श्री राजेन्द्र जायसवाल (अति. पुलिस अधीक्षक, शहर), श्री अनुज कुमार (अति. पुलिस अधीक्षक, ग्रामीण), श्री निमितेश सिंह (सीएसपी, सिविल लाइन) और साइबर थाना प्रभारी निरीक्षक राजेश मिश्रा सहित अन्य पुलिसकर्मियों की टीम ने कार्रवाई को अंजाम दिया।

बिलासपुर पुलिस की अपील:

“मनी म्यूल बनना एक गंभीर अपराध है। किसी को भी अपना बैंक खाता या मोबाइल सिम न दें। यदि कोई प्रलोभन देकर आपसे खाता या सिम मांगता है तो तत्काल पुलिस को सूचित करें।”

क्या होता है मनी म्यूल?

  • मनी म्यूल वे लोग होते हैं जो अपने बैंक खातों का इस्तेमाल साइबर अपराधियों को पैसे ट्रांसफर करने के लिए करने देते हैं।
  • यह मनी लॉन्ड्रिंग का एक हिस्सा होता है जिसमें अपराधी अपनी पहचान छुपाते हैं।

कानूनी सजा:

  • मनी लॉन्ड्रिंग में संलिप्त व्यक्ति पर BNS की धारा 3(5) के तहत मुख्य अपराधी के बराबर कार्रवाई की जा सकती है।
  • बैंक खाता सीज, संपत्ति जब्त और जेल की सजा हो सकती है—even अगर व्यक्ति अनजाने में इसमें शामिल हुआ हो।

नोट: साइबर अपराध से जुड़ी किसी भी जानकारी या संदेह की स्थिति में नजदीकी थाना या साइबर सेल से संपर्क करें।


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