“PM आवास योजना में सुशासन त्यौहार के नाम पर भ्रष्टाचार? नगर निगम पर पैसे मांगने के आरोप”

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रिपोर्ट:
प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) देश के हर नागरिक को छत मुहैया कराने की केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है। लेकिन ज़मीनी हकीकत इससे बिल्कुल उलट नज़र आ रही है। बिलासपुर नगर निगम में इस योजना के तहत आवेदन करने वाले कई मध्यम और निम्न वर्गीय परिवारों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

श्यामा साहू, जो बीते 3 वर्षों से इस योजना का लाभ लेने की कोशिश कर रही हैं, कहती हैं कि उन्होंने तीन बार ऑनलाइन आवेदन भरा, नगर निगम के चक्कर लगाए, लेकिन हर बार उनसे पैसे की मांग की गई। श्याम कहती हैं, “स्टांप पेपर के नाम पर हर बार 700 से 1000 रुपये तक खर्च होता है। घर से 10 किलोमीटर दूर आने-जाने में ऑटो का किराया अलग। फिर भी फार्म को कभी गुम बता दिया जाता है, तो कभी कूड़ेदान में फेंक दिया जाता है।”

श्यामा ही नहीं, प्रकाश श्रीवास्तव जैसे कई और लोग हैं जो 5 साल से योजना के तहत लाभ पाने की कोशिश कर रहे हैं। प्रकाश बताते हैं, “10 बार आवेदन कर चुका हूं, हर बार जवाब मिलता है कि केंद्र सरकार ने पैसा नहीं भेजा। ये सिर्फ बहाना है।”

आवेदकों का आरोप है कि नगर निगम में कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा खुलेआम पैसों की मांग की जाती है। ‘सुशासन पर्व’ के नाम पर भी उनसे आर्थिक योगदान की बात कही गई। पूछताछ करने पर उन्हें इधर-उधर भटकाया जाता है — कभी मयंक सर के पास, तो कभी अनिल सर के पास, लेकिन किसी के पास कोई स्पष्ट जवाब नहीं।

पीड़ितों की एक ही मांग है — “अगर योजना है, तो पारदर्शिता भी हो। गरीबों को उनका हक बिना रिश्वत दिए मिले।”

निष्कर्ष:
इस मामले में नगर निगम और प्रशासन की चुप्पी कई सवाल खड़े करती है। ज़रूरत है कि इस पूरे सिस्टम की जांच हो और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए। जब तक ज़मीनी स्तर पर पारदर्शिता और जवाबदेही नहीं आती, तब तक कोई भी योजना कागज़ों से बाहर नहीं निकलेगी।


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