कुसमुण्डा GM दफ्तर में तालाबंदी, अधिकारियों से नोकझोंक — भूविस्थापितों ने यहीं पकाया-खाया खाना

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छत्तीसगढ़, कोरबा।
एसईसीएल (SECL) की कुसमुण्डा विस्तार परियोजना से प्रभावित भूविस्थापितों ने सोमवार से तालाबंदी आंदोलन की शुरुआत कर दी। आंदोलनकारियों का आरोप है कि उनकी जमीन पर फर्जी लोगों को नौकरी दी गई है, जबकि वास्तविक भूविस्थापित परिवार बेरोजगार हैं। इसी मुद्दे पर भूविस्थापितों और कंपनी अधिकारियों के बीच तीखी नोकझोंक भी हुई।

कंपनी अधिकारियों ने आंदोलनकारियों से कथित फर्जी नियुक्ति पाने वालों के नाम मांगे और यह भी कहा कि SECL में नौकरियों से जुड़े कई मामले न्यायालय में लंबित हैं। उनका कहना है कि यह समस्या केवल कुसमुण्डा तक सीमित नहीं है, बल्कि अन्य कोयला परियोजनाओं में भी है। वहीं भूविस्थापितों का कहना है कि वर्षों से उनकी जमीन लेने के बावजूद उनके परिवार के योग्य सदस्यों को नौकरी नहीं मिली, जिससे वे मजबूर होकर सड़क पर उतरने को बाध्य हुए हैं।

मेन गेट पर ही पकाया और खाया भोजन
आंदोलन के पहले दिन भूविस्थापित परिवारों ने कुसमुण्डा GM ऑफिस के मेन गेट पर ताला जड़ दिया और यहीं धरना शुरू किया। गोमतीं केंवट सहित कई परिवारों ने मेन गेट के पास ही भोजन पकाया, खाया और वहीं आराम भी किया।

प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वे पिछले 22 वर्षों से भूमि के एवज में रोजगार की मांग कर रहे हैं, लेकिन SECL प्रबंधन उन्हें बार-बार झूठा आश्वासन देकर गुमराह कर रहा है। उनका आरोप है कि सूचना के अधिकार (RTI) के तहत भी उन्हें सही जवाब नहीं मिलता, और कई बार शांतिपूर्ण धरना देने पर पुलिस द्वारा जबरन गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।

प्रबंधन पर गंभीर आरोप
भूविस्थापितों ने चेतावनी दी है कि यदि सभी बेरोजगारों को रोजगार नहीं दिया गया तो वे अनिश्चितकालीन हड़ताल करेंगे और खदान में कोयला उत्पादन पूरी तरह ठप कर देंगे। उन्होंने इस संभावित स्थिति की जिम्मेदारी कुसमुण्डा के मुख्य महाप्रबंधक सचिन ताना जी पाटिल, क्षेत्रीय कार्मिक प्रबंधक विरेन्द्र कुमार और सेफ्टी अधिकारी भास्कर पर डाली है। आरोप है कि इन्हीं अधिकारियों द्वारा भूविस्थापितों के साथ धोखाधड़ी, अत्याचार और भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।

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