📍 रायपुर/बलरामपुर | 22 मई 2025
छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित पहाड़ी कोरवा आत्महत्या कांड में एक महत्वपूर्ण मोड़ आया है। मुख्य आरोपी विनोद अग्रवाल उर्फ मग्गू की अग्रिम जमानत याचिका छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 22 मई को खारिज कर दी। हाईकोर्ट ने उसे “आदतन अपराधी” (habitual offender) मानते हुए कोई राहत देने से इनकार कर दिया।
हालांकि, चौंकाने वाली बात यह है कि आरोपी अब तक फरार है, जिससे लोगों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है।
🔴 मामले की पृष्ठभूमि
यह मामला बलरामपुर जिले के राजपुर, बरियों और भेस्की क्षेत्र से जुड़ा है, जहां एक विशेष पिछड़ी जनजाति की महिला की संयुक्त संपत्ति को धोखाधड़ी से बेचे जाने और बाद में आत्महत्या तक पहुंचने की घटनाओं ने सनसनी मचा दी थी।
🧾 केस विवरण:
- आरोपी: विनोद अग्रवाल उर्फ मग्गू
- केस नंबर: CRA/0000996/2025
- न्यायालय: माननीय मुख्य न्यायाधीश, छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय
- निर्णय: जमानत याचिका खारिज
- तारीख: 22 मई 2025
⚖️ हाईकोर्ट का रुख:
- आरोपी पर विशेष जनजाति की भूमि को बिना अनुमति के बेचने का आरोप है।
- पहले से 9 आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें से 3 लंबित हैं।
- अदालत ने इस आधार पर उसे आदतन अपराधी माना और जमानत याचिका खारिज कर दी।
❗ फरार आरोपी ने दी जमानत याचिका – विवाद खड़ा:
कानून विशेषज्ञों का मानना है कि किसी फरार आरोपी द्वारा कोर्ट का समय लेना स्वयं कानूनी रूप से आपत्तिजनक है। हाईकोर्ट ने भी इसपर सख्ती दिखाई और याचिका को तत्काल खारिज कर दिया।
🔍 जनता और सामाजिक संगठनों की प्रतिक्रिया:
स्थानीय लोगों और सामाजिक संगठनों ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है, लेकिन अब तक गिरफ्तारी न होने पर नाराज़गी जताई है। मांगें जोर पकड़ रही हैं:
- आरोपी की तत्काल गिरफ्तारी हो।
- फरार रहते कोर्ट गुमराह करने पर अतिरिक्त धाराएं जोड़ी जाएं।
- इनाम, लुकआउट नोटिस, रेड कॉर्नर नोटिस जारी किए जाएं।
- CrPC की धारा 82-83 के तहत कुर्की-जप्ती की कार्रवाई हो।
👮♂️ पुलिस की भूमिका पर सवाल:
लोगों के मन में सवाल हैं:
- फरार आरोपी को जमानत अर्जी दाखिल करने की सुविधा कैसे मिली?
- क्या वांछित पोस्टर या प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई?
- क्या गिरफ्तारी के लिए कोई ठोस कदम उठाए गए?
📂 विनोद अग्रवाल का आपराधिक रिकॉर्ड – एक नज़र में:
थाना राजपुर:
- 2009–2017 के बीच 5 गंभीर अपराध
- धमकी, मारपीट, बलवा, अनुसूचित जाति/जनजाति उत्पीड़न
- एक प्रतिबंधात्मक कार्रवाई भी दर्ज
चौकी बरियों:
- 2016–2021 के बीच 4 मामले
- अपहरण, हत्या, धमकी, बंधक बनाना, लापरवाही से मृत्यु
- 2020 का मामला संभवतः क्रेशर हत्याकांड से जुड़ा
निष्कर्ष: 2009 से लगातार गंभीर आपराधिक गतिविधियों में लिप्त विनोद अग्रवाल की प्रवृत्ति व्यवस्थित अपराधी जैसी प्रतीत होती है।
🚨 अब आगे क्या?
- गिरफ्तारी वारंट के बाद पुलिस को तेजी से कार्रवाई करनी होगी।
- कुर्की-जप्ती, इनाम और लुकआउट नोटिस जैसे कदम जरूरी हैं।
- यदि आरोपी विदेश भागा है, तो रेड कॉर्नर नोटिस और इंटरपोल की सहायता ली जा सकती है।
📢 समाप्ति संदेश:
आज जब समाज कमजोर समुदायों के अधिकारों और न्याय के लिए लड़ रहा है, ऐसे में पहाड़ी कोरवा आत्महत्या कांड में आरोपी की गिरफ्तारी में देरी न्याय व्यवस्था और प्रशासनिक मंशा पर सवाल खड़े करती है। जनता अब न्याय की उम्मीद के साथ प्रशासन की कार्रवाई का इंतजार कर रही है।
यह रिपोर्ट www.[आपकी वेबसाइट].com के लिए तैयार की गई है।

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