जिला प्रशासन की अनोखी पहल: ‘मोर गांव, मोर पानी’ महाअभियान को मिल रहा ग्रामीणों का भरपूर सहयोग

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समाचार स्क्रिप्ट (न्यूज़ पोर्टल हेतु)


बिलासपुर, 12 मई 2025।
बिलासपुर जिले में जल संरक्षण को लेकर एक नई मिसाल कायम की जा रही है। जिला प्रशासन द्वारा शुरू किए गए ‘मोर गांव, मोर पानी’ महाअभियान के अंतर्गत जल की प्रत्येक बूंद को संजोने और वर्षा जल के संरक्षण को लेकर जन-जागरूकता की दिशा में व्यापक प्रयास किए जा रहे हैं।

कलेक्टर श्री संजय अग्रवाल के निर्देश पर जिले की सभी 486 ग्राम पंचायतों में जल संकट और भूजल स्तर के गिरते हालात को लेकर विशेष प्रचार-प्रसार और संगोष्ठियों का आयोजन किया जा रहा है। इन आयोजनों में ग्रामीणों को कम भूजल उपयोग, उपयुक्त फसल चक्र अपनाने, और अधिक से अधिक वृक्षारोपण करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।

कलेक्टर ने बारहमासी नालों पर बोरी बंधान के कार्य को जनभागीदारी और श्रमदान के माध्यम से संपन्न कराने के निर्देश दिए हैं। ग्रामीण जन इस कार्य में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं, और जल संरक्षण को लेकर अब एकजुट नजर आ रहे हैं।

फेल हो चुके बोरवेल को सैंड फिल्टर रिचार्ज स्पीड तकनीक से पुनः चालू करने और पर्कोलेशन टैंकइंजेक्शन वेल के माध्यम से भूजल रिचार्ज की दिशा में भी प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं। इन कार्यों को मनरेगा के तहत भी अंजाम दिया जा रहा है।

केंद्रीय ग्राउंडवाटर बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, जिले के बिल्हा और तखतपुर विकासखंड सेमी क्रिटिकल श्रेणी में आते हैं, जहां जल संकट की संभावना अधिक है। इसे ध्यान में रखते हुए इन क्षेत्रों में विशेष अभियान चलाया जा रहा है।

इस महाअभियान के अंतर्गत ‘जलदूत’ मोबाइल एप्लिकेशन का उपयोग करके मानसून से पहले और बाद में भूजल स्तर की जानकारी रिकॉर्ड की जा रही है। यह आंकड़े ग्राम पंचायत भवनों और सार्वजनिक स्थलों पर प्रदर्शित किए जा रहे हैं, जिससे ग्रामीणों को अपने गांव के भूजल स्तर की सटीक जानकारी मिल सके।

ग्रामीण जन अब जल संरक्षण को लेकर संकल्पबद्ध हो रहे हैं और जल बचाने की शपथ भी ले रहे हैं। ‘मोर गांव, मोर पानी’ अभियान बिलासपुर जिले को जल समृद्धि की ओर ले जाने में मील का पत्थर साबित हो रहा है।


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