विनोद अग्रवाल उर्फ मग्गू सेठ अभी तक पुलिस की गिरफ्त से बाहर, बढ़ती चिंताएं

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बलरामपुर, 07 मई 2025:
विनोद अग्रवाल उर्फ मग्गू सेठ, जिन पर बीते 15 वर्षों से गंभीर आपराधिक आरोप लगे हैं, एक बार फिर सुर्खियों में हैं। 06 मई 2025 को थाना राजपुर में दर्ज नई FIR (क्रमांक: 0103) में उन पर जमीन हड़पने और धमकाने के आरोप लगे हैं, जिसके चलते राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र भईरा ने आत्महत्या कर ली। बावजूद इसके, मग्गू सेठ अब तक पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं, जिससे स्थानीय समुदायों में गहरी नाराजगी और प्रशासन के प्रति अविश्वास फैल रहा है।

नई FIR और ताजा घटनाक्रम

नई एफआईआर के अनुसार, मग्गू सेठ पर आरोप है कि उन्होंने ज़मीन कब्जाने की नीयत से भईरा को धमकाया, जिससे मानसिक दबाव में आकर उसने आत्महत्या कर ली। घटना के बाद राजपुर में विरोध प्रदर्शन हुए और पुलिस ने भारतीय न्याय दंड संहिता (BNS) की धारा 108 और 3(5) के तहत मामला दर्ज किया। हालांकि, पुलिस की कार्रवाई अब तक प्रभावी नहीं रही।

मग्गू सेठ का आपराधिक इतिहास

मग्गू सेठ पर 2009 से 2024 तक विभिन्न थानों में कई संगीन मामले दर्ज हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • क्रेशर हत्याकांड (मार्च 2022): संदिग्ध भूमिका और जांच में रुकावट के आरोप।
  • पहाड़ी कोरवा समुदाय से धोखाधड़ी (नवंबर 2024): फर्जी रजिस्ट्री और 14 लाख रुपये के चेक (संख्या 768085, दिनांक 18.11.24) के जरिए संपत्ति हड़पने का आरोप।
  • थाना राजपुर में:
    • अपराध क्रमांक 48/09 (मारपीट, बलवा)
    • 133/15 (अपहरण)
    • 40/16, 120/16, 07/17 (SC/ST उत्पीड़न)
    • प्रतिबंधात्मक कार्यवाही 107/16
  • चौकी बरियों में:
    • अपराध क्रमांक 07/120 (बलवा), 32/18, 34/21 (लापरवाही से मृत्यु), 85/21 (बंधक बनाना)

जिला बदर पर सस्पेंस

स्थानीय लोगों का कहना है कि इतने गंभीर आरोपों के बावजूद मग्गू सेठ के खिलाफ जिला बदर जैसी कार्रवाई नहीं की गई, जो एक आम अपराधी पर भी होती है। आरोप है कि उनका “अवैध धन” पुलिस और प्रशासन को प्रभावित कर रहा है।

क्या देरी की वजह प्रशासनिक मिलीभगत है?

गिरफ्तारी में लगातार हो रही देरी को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि क्या मग्गू सेठ को प्रशासनिक संरक्षण प्राप्त है? पहाड़ी कोरवा समुदाय और अन्य शिकायतकर्ताओं ने पुलिस की निष्क्रियता की आलोचना करते हुए निष्पक्ष जांच और तत्काल गिरफ्तारी की मांग की है।

ED की जांच की संभावना

मग्गू सेठ की संपत्तियों पर भी सवाल उठने लगे हैं। यदि उनकी संपत्ति अपराध की आय (Proceeds of Crime) साबित होती है, तो PMLA, 2022 के तहत Enforcement Directorate (ED) उन्हें अटैच कर सकती है। लेकिन गिरफ्तारी के बिना यह प्रक्रिया ठप है।

स्थानीय प्रतिक्रिया और आक्रोश

घटना के बाद पहाड़ी कोरवा समुदाय और ग्रामीणों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। एक सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा,

“भईरा की आत्महत्या के पीछे जिम्मेदार व्यक्ति अभी तक आज़ाद घूम रहा है। यह न्याय प्रणाली पर गंभीर सवाल उठाता है।”

निष्कर्ष

मग्गू सेठ की गिरफ्तारी में देरी, जिला बदर प्रक्रिया का न होना, और प्रशासनिक चुप्पी ने पूरे इलाके में चिंता और आक्रोश पैदा कर दिया है। यह देखना अब अहम होगा कि पुलिस और प्रशासन जल्द कार्रवाई करते हैं या यह मामला भी अन्य लंबित मामलों की तरह दबा दिया जाएगा।

क्या मग्गू सेठ कभी पकड़े जाएंगे? यह सवाल आज भी अनुत्तरित है।


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